बच्चों की कहानियां

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गधे की आशंका

एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में राजू नामक एक बच्चा रहता था। राजू बहुत ही सजग और बुद्धिमान बच्चा था। वह हर दिन अपने दोस्त श्याम के साथ खेलता था। राजू के पिता गांव में सबसे ज्ञानी व्यक्ति थे। वे बच्चों को दिनभर बातचीत करते और उन्हें सिखाते थे।

एक दिन, राजू और श्याम स्कूल से घर वापस लौट रहे थे। रास्ते में जाते समय, राजू ने देखा कि एक गधा उनके सामने आ रहा है। राजू के दिल में उस गधे से डर की आशंका होने लगी। उसे ऐसा लगा कि गधा उसे कुछ कहने के लिए आएगा। राजू का मन उलझन में गया और वह श्याम से बोला, “श्याम, देखो वह गधा है, मुझे डर लग रहा है।”

श्याम ने राजू को हँसाते हुए कहा, “अरे, राजू, ऐसा कुछ नहीं है। वह गधा हमारे दोस्त है। वह तुम्हें कुछ नहीं करेगा।”

राजू ने श्याम की बात मान ली और गधे के पास जाने का निर्णय किया। जैसे ही राजू गधे के पास पहुंचा, गधा उसे देखकर मुस्कराएँ और बोला, “हाय, राजू भाई, कैसे हो?”

राजू को गधे के सजीव स्वभाव ने अच्छा लगा। वह गधे के साथ बातचीत करने लगा। गधा बताया कि वह अपने मालिक के साथ एक साथ खेतों में काम करता है और बच्चों के साथ खेलना बहुत पसंद करता है।

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गधे के साथ दो लड़के(short funny story in hindi)

दिन बितते गए और राजू के बीच और गधे के बीच दोस्ती हुई। राजू ने देखा कि गधे के साथ रहना बहुत मजेदार है। वह गधे के साथ खेलने लगा और गधे की मदद करने में भी उसका साथ देता था।

एक दिन, राजू और श्याम फलों को टोटा घर में बांधने का प्रयास कर रहे थे। उन्हें टोटा के साथ काफी मुश्किल हो रहा था। राजू के पिता ने यह देखा और उन्हें टोटा को बांधने के लिए गधे का सहायता लेने का सुझाव दिया।

राजू ने श्याम के साथ मिलकर गधे को बुलाया और उसको अपने साथ काम करने के लिए कहा। गधा खुशी-खुशी राजू की मदद करने के लिए तैयार था। वह दोनों ने मिलकर फलों को

टोटे के साथ बांधने में सफलता प्राप्त की। राजू और श्याम धन्यवाद करते हुए गधे को उसके घर वापस भेज दिया। गधा खुशी से घर वापस जा रहा था कि उसने राजू को एक सवाल पूछा, “राजू भाई, आपने मुझसे कभी डरा क्यों था?”

राजू ने विचार किया और गधे को सच्चाई बता दी, “दोस्त, मैं सोच रहा था कि आप मुझसे कुछ कहने के लिए आ रहे हो। इसलिए मैंने आपसे डर लग जाने की आशंका की थी।”

गधा हँसते हुए बोला, “हाय, हँसो मत राजू भाई। मैं तो बस आपसे बात करने आया था। आप मेरे दोस्त हो, और दोस्तों के बीच डर की आवश्यकता नहीं होती।”

राजू ने गधे की बात से एक बड़ी सीख ली। उसे यह अनुभव हुआ कि व्यक्ति को दूसरों पर पूर्वाग्रह नहीं करना चाहिए और वे हमेशा अच्छे इंसान होते हैं, जो हमें सहायता करते हैं और हमारे साथ हंसते हैं।

राजू और गधे की दोस्ती दिनों-बादलती रही। वे दोनों साथ मिलकर अनेक मजेदार गतिविधियों में भाग लेते थे। गधे के साथ रहने से राजू की जिंदगी में खुशियाँ और मजेदार पल बढ़ गए।

एक बार गांव में मेला आया। राजू और श्याम मेले में बहुत मस्ती कर रहे थे। उन्होंने अपने माता-पिता से अनुमति ली और गधे को भी साथ ले गए।

मेले में पानी की गोदाम थी, जिसमें बहुत सारे बड़े पानी के बालू थे। वहां लोगों को बालू के साथ खेलने का मौका मिलता था। राजू और श्याम बालू के भीतर कूद रहे थे और गधे ने खड़े होकर उन्हें देख रहा था।

अचानक, राजू बालू में फंस गया और उसे बाहर आने में समस्या हो गई। उसके दोस्त श्याम ने उसकी मदद की और उसे बाहर निकाल लिया। राजू को बाहर निकलते ही वह दोनों बहुत हँसने लगे। गधे ने भी उन्हें हँसते देखा और बोला, “अच्छा हुआ तुम बाहर निकल गए। वरना मैं तुम्हारी मदद करने के लिए तैयार था।”

राजू और श्याम गधे को देखकर फिर से हँस पड़े। वे गधे की दोस्ती का मजा ले रहे थे।

 

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