बच्चों की कहानियां

कछुए और खरगोश की कहानी | Kachua Aur Khargosh Ki Kahani

कछुए और खरगोश की कहानी (Kachua Aur Khargosh Ki Kahani)

एक गाँव में कछुए और खरगोश रहते थे। वे दोनों अच्छे दोस्त थे और हमेशा एक साथ खेलते-खुदाई करते थे। कछुआ धीरे-धीरे काम करता था, वहीं खरगोश बहुत तेजी से काम करता था, लेकिन वह ध्यान नहीं देता था। वह अक्सर बिना सोचे-समझे बड़े-बड़े पहाड़ों पर चला जाता था।

kachua aur khargosh ki kahani In hindi

एक दिन, खरगोश ने यह सोचकर फैसला किया कि वह गाँव के बाहर जाकर एक बड़े पहाड़ पर अपने दोस्त कछुए के साथ खेलेगा। कछुआ थोड़ा सोचा और फिर मान गया।

खरगोश और कछुआ पहाड़ पर पहुँचे और खरगोश ने उससे कहा, “चलो, हम एक दौड़ खेलते हैं।” कछुआ थोड़ी देर सोचा और फिर रिप्लाइ किया, “अच्छा ठीक है, हम दौड़ेंगे, लेकिन मेरी एक शर्त है।”

खरगोश चिंतित हो गया और पूछा, “कौन सी शर्त?”

कछुआ बोला, “हम दौड़ते समय, तुम मुझे पहले जगह पर ले जाना जहाँ हम शुरू हुए थे।”

खरगोश हंसते हुए बोला, “वाह! तुम तो बहुत ही स्मार्ट हो! ठीक है, मैं तुम्हें वहीं ले जाऊंगा।”

दौड़ शुरू हुई और खरगोश अपनी तेज दौड़ में पीछे छूट गया। कछुआ धीरे-धीरे दौड़ रहा था और साथ ही सोच रहा था कि उसे जल्दी जगह पर पहुँचकर उलट जाना चाहिए।

खरगोश अचानक एक पहाड़ की ओर दौड़ लिया और कछुए को जगह पर ले आया जहाँ वे शुरू हुए थे। कछुआ हंसते हुए बोला, “देखा! मैंने कहा था ना, मैं तुम्हें धोखा नहीं दूंगा।”

खरगोश ग़ुस्से में आ गया और उसने कछुए को चुनौती दी, “अब हम फिर से दौड़ते हैं और इस बार मैं तुम्हें पीछे छोड़ दूंगा।”

kachua मुस्कराया और फिर वही किया जो पहले किया था – धीरे-धीरे दौड़कर उलट गया और खरगोश को अपने पास ले आया।

कछुए और खरगोश की कहानी
kachua aur khargosh ki kahani
khargosh  बहुत ही खिलखिलाया और बोला, “तुमने फिर से मुझे धोखा दिया।”

कछुआ गंभीर रूप से बोला, “मैंने तुम्हें धोखा नहीं दिया, मैंने सिर्फ अपने आप को समझाया है कि कैसे समय और स्थितियों के अनुसार अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया। मुझे यह दिखाना था कि अगर हम सोच-समझकर और विवेकपूर्ण तरीके से काम करते हैं, तो हम किसी भी मुश्किल स्थिति में भी सफल हो सकते हैं।”

khargosh aur kachhua ki kahani in hindi

खरगोश शरम से लाल हो गया और उसने कछुए से माफी मांगी। कछुआ ने उसकी माफी को स्वीकार किया और दोनों दोस्त फिर से एक साथ खेलने लगे, परंतु इस बार उनका दोस्ती के साथ एक नया सिख भी था।

इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि जीवन में सफलता पाने के लिए तेजी से काम करने से ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि हम सोच-समझकर काम करें। कभी-कभी हम इतनी तेजी में आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं कि हम अपने लक्ष्य को सही से पहचानने में असमर्थ हो जाते हैं। इससे हम गलती कर सकते हैं और आखिरकार हानि उठानी पड़ सकती है।

विचारशीलता और योजना बनाने की क्षमता हमें उन समस्याओं का समाधान ढूंढने में मदद करती है जो हमें आते हैं। यह हमें सही दिशा में जाने की स्थिति में रखता है और हमें बेहतर निर्णय लेने में मदद करता है।

कछुआ और खरगोश की कहानी हमें यह भी सिखाती है कि सही दोस्ती के महत्व को कैसे समझना चाहिए। दोस्ती में समझदारी, सहयोग और विश्वास होना जरूरी होता है। हमें दोस्तों की सुनने और समझने की क्षमता होनी चाहिए ताकि हम उनके साथ सही तरीके से आचरण कर सकें और उनके साथ अच्छे रिश्ते बना सकें।

इस कहानी का मोरल है कि हमें समय की महत्वपूर्णता समझनी चाहिए और हमेशा यह सोचकर काम करना चाहिए कि कैसे हम अपने मानवीय गुणों का सही तरीके से उपयोग कर सकते हैं। तेजी से आगे बढ़ने की बजाय हमें धीरे-धीरे सोचकर और योजना बनाकर काम करना चाहिए ताकि हम सही मार्ग पर चल सकें और सफलता प्राप्त कर सकें।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top